( 3 )
बात करनी मुझे मुश्क़िल कभी ऐसी तो न थी
बात करनी मुझे मुश्क़िल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी
ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी
चश्म-ए- क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन
जैसे अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी
जैसे अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी
उन की आँखों ने ख़ुदा जानें किया क्या जादू
के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी
के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी
अक्स-ए-रुख़-ए-यार ने किस से है तुझे चमकाया
तब तुझ में माह-ए-क़ामील कभी ऐसी तो न थी
तब तुझ में माह-ए-क़ामील कभी ऐसी तो न थी
क्या सबब तू जो बिगड़ता है "ज़फ़र" से हर बार
खु तेरी हूर-ए- शमाइल कभी ऐसी तो न थी
खु तेरी हूर-ए- शमाइल कभी ऐसी तो न थी
- बहादुर शाह ज़फ़र
तबीयत ----------- Nature, Temperament
माइल ------------- Affected, Biased, Enamoured
माह-ए-क़ामील --- Full moon
सबब –------------ Reason
खु ---------------- Habit, Behaviour
हूर-ए- शमाइल --- Beauty with excellent virtues
हूर----------------- Virgin Of Paradise, Beauty
माइल ------------- Affected, Biased, Enamoured
माह-ए-क़ामील --- Full moon
सबब –------------ Reason
खु ---------------- Habit, Behaviour
हूर-ए- शमाइल --- Beauty with excellent virtues
हूर----------------- Virgin Of Paradise, Beauty
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