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जावेद अख्तर - हमारे शौक़ की

 ( 5 )

हमारे शौक़ की

हमारे शौक़ की यह इन्तेहा थी
क़दम रखा कि मंजिल रास्ता थी

बिछड़ के डार से बन बन फिरा वो
हिरन को अपनी कस्तूरी सज़ा थी

कभी जो ख्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गयी वो चीज़ क्या थी

मैं बचपन में खिलौने तोड़ता था
मेरे अंजाम की वो इब्तिदा थी

मोहब्बत मार गयी, मुझको भी गम है
मेरी अच्छे दिनों की आशना थी

जिसे छू लूँ में वो हो जाये सोना
तुझे देखा तो जाना बद-दुआ थी

मरीज़-ए-ख्वाब को तो अब शफा है
मगर दुनिया बड़ी कड़वी दवा थी

  - जावेद अख्तर

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जावेद अख्तर - अब अगर आओ

        (4)

अब अगर आओ


अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं

ये हँसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना
प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं

चाहने वालों की तक़बीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई

तुम कांई रस्‍म निभाने के लिए मत आना
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना...

जावेद अख्तर

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जावेद अख्तर - आप भी आइए,

                   (3)

      आप भी आइए


आप भी आइए, हम को भी बुलाते रहिए
दोस्‍ती ज़ुर्म नहीं, दोस्‍त बनाते रहिए।

ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्‍म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।

वक्‍त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,
ख्‍वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।

शक्‍ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर, बनाते रहिए।

- जावेद अख्तर


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जावेद अख्तर - क्यूँ ज़िन्दगी की राह में

           (2)

क्यूँ ज़िन्दगी की राह में

क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए

ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए


पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए

 - जावेद अख्तर

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जावेद अख्तर - आज मैंने अपना फिर

            (1)

आज मैंने अपना फिर


आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

जिन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते कि तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
खैर तुमने जो किया अच्‍छा किया

- जावेद अख्तर

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