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अली सरदार जाफ़री - हम भी शराबी, तुम भी शराबी

(4)


हम भी शराबी, तुम भी शराबी


हम भी शराबी, तुम भी शराबी
छलके गुलाबी, छलके गुलाबी
तक़्दीर दिल की ख़ाना ख़राबी



जब तक है जीना खुश हो के जी लें
जब तक है पीना जी भर के पी लें
रत न कोइ रह जाये बाक़ी


हम भी शराबी, तुम भी शराबी
छलके गुलाबी, छलके गुलाबी
तक़्दीर दिल की ख़ाना ख़राबी

कल सुबह के दामन में, तुम होगे न हम होंगे
बस रेत के सीने पर कुछ नक्श क़दम होंगे



बस रात भर के मेहमान हम हैं
ज़ुल्फ़ों में शब के थोडे से ख़म हैं
बाक़ी रहेगा सागर न साक़ी

हम भी शराबी, तुम भी शराबी
छलके गुलाबी, छलके गुलाबी
तक़्दीर दिल की ख़ाना ख़राबी


- अली सरदार जाफ़री


 


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अली सरदार जाफ़री - बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा

(3)


बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा

बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा
जैसे बेताब दिल को क़रार आ गया

आरज़ू के गुल मुस्कुराने लगे
जैसे गुलशन में बहार आ गया

तिश्न नज़रें मिली शोख नज़रों से जब
बरसने लगी जाम भरने लगे

साक़िया आज तेरी ज़रूरत नहीं
बिन पिये बिन पिलाये खुमार आ गया

रात सोने लगी सुबह होने लगी
शम्म बुझने लगी दिल मचलने लगे

वक़्त की रोश्नी में नहायी हुई
ज़िन्दगी पे अजब स निखार आ गया


- अली सरदार जाफ़री


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अली सरदार जाफ़री - मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी

 (2)


मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी


मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी
रंग और नूर का बहता हुआ धारा बन कर

महफ़िल-ए-शौक़ में इक धूम मचा दी उस ने
ख़ल्वत-ए-दिल में रही अन्जुमन-आरा बन कर

शोला-ए-इश्क़ सर-ए-अर्श को जब छूने लगा
उड़ गई वो मेरे सीने से शरारा बन कर

और अब मेरे तसव्वुर का उफ़क़ रोशन है
वो चमकती है जहाँ ग़म का सितारा बन कर


- अली सरदार जाफ़री


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अली सरदार जाफ़री - मैं और मेरी तन्हाई

 

 (1)


मैं और मेरी तन्हाई


आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाई
जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाई

ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते

राहें भी तमाशाई रही भी तमाशाई

मैं और मेरी तन्हाई

अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे
कातिल नज़र आती है दुनिया की हवा जैसे

रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई

मैं और मेरी तन्हाई

आकाश के माथे पर तारों का चरागाँ है
पहलू में मगर मेरे जख्मों का गुलिस्तां है

आंखों से लहू टपका दामन में बहार आई

मैं और मेरी तन्हाई

हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है
रोकर कभी हंसती है हंस कर कभी गाती है
ये प्यार की बाहें हैं या मौत की
अंगड़ा

मैं और मेरी तन्हाई


- अली सरदार जाफ़री


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