( 2 )
यार था गुलज़ार था बाद-ए-सबा थी मैं न था
यार था गुलज़ार था बाद-ए-सबा थी मैं न था
लयाक-ए-पा-बोस-ए-जान क्या हेना थी मैं न था
लयाक-ए-पा-बोस-ए-जान क्या हेना थी मैं न था
हाथ क्यों बंधे मेरे चला अगर चोरी हुआ
ये सरापा शोख़ी-ए-रंग-ए-हेना थी मैं न था
ये सरापा शोख़ी-ए-रंग-ए-हेना थी मैं न था
मैंने पूछा क्या हुआ वो आप का हुस्न-ओ-शबाब
हँस के बोला वो सनम शान-ए-ख़ुदा थी मैं न था
हँस के बोला वो सनम शान-ए-ख़ुदा थी मैं न था
मैं सिसकता रह गया और मर गये फ़रहाद-ओ-क़्वाइस
क्या यूंहीं दोनों के हिस्से में क़जा थी मैं न था
क्या यूंहीं दोनों के हिस्से में क़जा थी मैं न था
- बहादुर शाह ज़फ़र
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