(4)
हम भी शराबी, तुम भी शराबी
हम भी शराबी, तुम
भी शराबी
छलके गुलाबी, छलके गुलाबी
तक़्दीर दिल की ख़ाना
ख़राबी
जब तक है जीना खुश हो के जी लें
जब तक है पीना जी भर के पी लें
हसरत न कोइ रह जाये
बाक़ी
हम भी शराबी, तुम
भी शराबी
छलके गुलाबी, छलके गुलाबी
तक़्दीर दिल की ख़ाना
ख़राबी
कल सुबह के दामन में, तुम होगे न हम होंगे
बस रेत के सीने पर कुछ नक्श क़दम होंगे
बस रात भर के मेहमान हम हैं
ज़ुल्फ़ों में शब के थोडे से ख़म हैं
बाक़ी रहेगा सागर न साक़ी
हम भी शराबी, तुम
भी शराबी
छलके गुलाबी, छलके गुलाबी
तक़्दीर दिल की ख़ाना
ख़राबी
- अली सरदार जाफ़री
***************************************
No comments:
Post a Comment