असद भोपाली – दो-जहाँ से मावरा हो जाएगा
(2)
दो-जहाँ
से मावरा हो जाएगा
दो-जहाँ से मावरा हो जाएगा
जो
तेरे ग़म में फ़ना हो जाएगा
दर्द
जब दिल से जुदा हो जाएगा
साज़-ए-हस्ती
बे-सदा हो जाएगा
देखिए
अहद-ए-वफ़ा अच्छा नहीं
मरना
जीना साथ का हो जाएगा
बे-नतीजा
है ख़याल-ए-तर्क-ए-राह
फिर
किसी दिन सामना हो जाएगा
अब
ठहर जा याद-ए-जानाँ रो तो लूँ
फ़र्ज़-ए-तन्हाई
अदा हो जाएगा
लहज़ा
लहज़ा रख ख़याल-ए-हुस्न-ए-दोस्त
लम्हा
लम्हा काम का हो जाएगा
ज़ौक़-ए-अज़्म-ए-बा-अमल
दरकार है
आग
में भी रास्ता हो जाएगा
अपनी
जानिब जब नज़र उठ जाएगी
ज़र्रा
ज़र्रा आईना हो जाएगा
- असद भोपाली
***************************
No comments:
Post a Comment