Old bollywood movies; old bollwood songs

Watch old Bollywood movies, Listen old songs.... click here

अहमद फ़राज़ - वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है

(12)

वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है 

वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है 
शिकस्ते-दिल प’ भी अहदे-वफ़ा सलामत  है

ये हम जो बाग़ो-बहाराँ  का ज़िक्र  करते हैं
तो मुद्दआ  वो गुले-तर  वो सर्वो-क़ामत  ]है

बजा ये फ़ुर्सते-हस्ती  मगर दिले-नादाँ
न याद कर के उसे भूलना क़यामत  है

चली चले यूँ ही रस्मे-वफ़ा  -ओ-मश्क़े-सितम
कि तेगे़ -यारो-सरे-दोस्ताँ  सलामत है

सुकूते-बहर से साहिल   लरज़  रहा है मगर
ये ख़ामुशी किसी तूफ़ान की अलामत है

अजीब वज़्अ का ‘अहमद फ़राज़’ है शाइर
कि दिल दरीदा मगर पैरहन सलामत है

 - अहमद फ़राज़

शब्दार्थ:

1.    जुनूँ = उन्माद
2.    क़ूच-ए-मलामत = निंदा वाली गली
3.    शिकस्ते-दिल = दिल के टूटने
4.    अहदे-वफ़ा = वफ़ादारी का प्रण
5.    सलामत = सुरक्षित
6.    बाग़ो-बहाराँ = वाटिका और वसंत
7.    ज़िक्र = चर्चा
8.    मुद्दआ = उद्देश्य
9.    गुले-तर = ताज़ा फूल
10.    सर्वो-क़ामत = सर्व वय्क्ष जैसे सुंदर डील-डौल वाला
11.    फ़ुर्सते-हस्ती = जीवनकाल
12.    दिले-नादाँ = नादान दिल
13.    क़यामत = महाप्रलय
14.    रस्मे-वफ़ा =  वफ़ादारी की परंपरा
15.    ओ-मश्क़े-सितम = अत्याचार का अभ्यास
16.    तेगे़-यारो-सरे-दोस्ताँ = मित्रों और प्रियजनों की तलवार
17.    सुकूते-बहर =  महासागर का मौन
18.    साहिल = तट
19.    लरज़ = काँप
20.    अलामत = लक्षण
21.    वज़्अ = शैली
22.    दरीदा  = दु:खी हृदय
23.    पैरहन = वस्त्र   

                                                  

No comments:

Post a Comment