(12)
वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है
वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है
शिकस्ते-दिल प’ भी अहदे-वफ़ा सलामत है
ये हम जो बाग़ो-बहाराँ का ज़िक्र करते हैं
तो मुद्दआ वो गुले-तर वो सर्वो-क़ामत ]है
बजा ये फ़ुर्सते-हस्ती मगर दिले-नादाँ
न याद कर के उसे भूलना क़यामत है
चली चले यूँ ही रस्मे-वफ़ा -ओ-मश्क़े-सितम
कि तेगे़ -यारो-सरे-दोस्ताँ सलामत है
सुकूते-बहर से साहिल लरज़ रहा है मगर
ये ख़ामुशी किसी तूफ़ान की अलामत है
अजीब वज़्अ का ‘अहमद फ़राज़’ है शाइर
कि दिल दरीदा मगर पैरहन सलामत है
- अहमद फ़राज़
शब्दार्थ:
1. जुनूँ = उन्माद
2. क़ूच-ए-मलामत = निंदा वाली गली
3. शिकस्ते-दिल = दिल के टूटने
4. अहदे-वफ़ा = वफ़ादारी का प्रण
5. सलामत = सुरक्षित
6. बाग़ो-बहाराँ = वाटिका और वसंत
7. ज़िक्र = चर्चा
8. मुद्दआ = उद्देश्य
9. गुले-तर = ताज़ा फूल
10. सर्वो-क़ामत = सर्व वय्क्ष जैसे सुंदर डील-डौल वाला
11. फ़ुर्सते-हस्ती = जीवनकाल
12. दिले-नादाँ = नादान दिल
13. क़यामत = महाप्रलय
14. रस्मे-वफ़ा = वफ़ादारी की परंपरा
15. ओ-मश्क़े-सितम = अत्याचार का अभ्यास
16. तेगे़-यारो-सरे-दोस्ताँ = मित्रों और प्रियजनों की तलवार
17. सुकूते-बहर = महासागर का मौन
18. साहिल = तट
19. लरज़ = काँप
20. अलामत = लक्षण
21. वज़्अ = शैली
22. दरीदा = दु:खी हृदय
23. पैरहन = वस्त्र
वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है
शिकस्ते-दिल प’ भी अहदे-वफ़ा सलामत है
ये हम जो बाग़ो-बहाराँ का ज़िक्र करते हैं
तो मुद्दआ वो गुले-तर वो सर्वो-क़ामत ]है
बजा ये फ़ुर्सते-हस्ती मगर दिले-नादाँ
न याद कर के उसे भूलना क़यामत है
चली चले यूँ ही रस्मे-वफ़ा -ओ-मश्क़े-सितम
कि तेगे़ -यारो-सरे-दोस्ताँ सलामत है
सुकूते-बहर से साहिल लरज़ रहा है मगर
ये ख़ामुशी किसी तूफ़ान की अलामत है
अजीब वज़्अ का ‘अहमद फ़राज़’ है शाइर
कि दिल दरीदा मगर पैरहन सलामत है
- अहमद फ़राज़
शब्दार्थ:
1. जुनूँ = उन्माद
2. क़ूच-ए-मलामत = निंदा वाली गली
3. शिकस्ते-दिल = दिल के टूटने
4. अहदे-वफ़ा = वफ़ादारी का प्रण
5. सलामत = सुरक्षित
6. बाग़ो-बहाराँ = वाटिका और वसंत
7. ज़िक्र = चर्चा
8. मुद्दआ = उद्देश्य
9. गुले-तर = ताज़ा फूल
10. सर्वो-क़ामत = सर्व वय्क्ष जैसे सुंदर डील-डौल वाला
11. फ़ुर्सते-हस्ती = जीवनकाल
12. दिले-नादाँ = नादान दिल
13. क़यामत = महाप्रलय
14. रस्मे-वफ़ा = वफ़ादारी की परंपरा
15. ओ-मश्क़े-सितम = अत्याचार का अभ्यास
16. तेगे़-यारो-सरे-दोस्ताँ = मित्रों और प्रियजनों की तलवार
17. सुकूते-बहर = महासागर का मौन
18. साहिल = तट
19. लरज़ = काँप
20. अलामत = लक्षण
21. वज़्अ = शैली
22. दरीदा = दु:खी हृदय
23. पैरहन = वस्त्र
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