(19)
एक तो तेरा भोलापन है
बस्ती बस्ती घोर उदासी परबत परबत खालीपन
मन हीरा बेमोल लुट गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अंबर तक, दो ही चीज़ ग़ज़ब की हैं
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन
बस्ती बस्ती घोर उदासी परबत परबत खालीपन
मन हीरा बेमोल लुट गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अंबर तक, दो ही चीज़ ग़ज़ब की हैं
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन
***
धरती बनना बहुत सरल है, कठिन है बादल हो जाना
संजीदा होना बहुत सरल है, मुश्किल है पागल हो जाना
रंग खेलते हैं सब लेकिन, कितने लोग हैं ऐसे जो
सीख गए हैं फागुन की मस्ती में फागुन हो जाना
***
ये दिल बरबाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो
यह कैसी शोहरतें मुझ को अता कर दी मेरे मौला
मैं सब कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो
- डॉ कुमार विश्वास
ये दिल बरबाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो
यह कैसी शोहरतें मुझ को अता कर दी मेरे मौला
मैं सब कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो
- डॉ कुमार विश्वास
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