Old bollywood movies; old bollwood songs

Watch old Bollywood movies, Listen old songs.... click here

अकबर इलाहाबादी - समझे वही इसको जो हो दीवाना

(4)

अकबर इलाहाबादी - समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का
'अकबर' ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का

गर शैख़-ओ-बहरमन  सुनें अफ़साना किसी का
माबद  न रहे काबा-ओ-बुतख़ाना  किसी का

अल्लाह ने दी है जो तुम्हे चांद-सी सूरत
रौशन भी करो जाके सियहख़ाना  किसी का

अश्क आँखों में आ जाएँ एवज़   नींद के साहब
ऐसा भी किसी शब सुनो अफ़साना किसी का

इशरत  जो नहीं आती मेरे दिल में, न आए
हसरत ही से आबाद है वीराना किसी का

करने जो नहीं देते बयां हालत-ए-दिल को
सुनिएगा लब-ए-ग़ौर   से अफ़साना किसी का

कोई न हुआ रूह का साथी दम-ए-आख़िर
काम आया न इस वक़्त में याराना किसी का

हम जान से बेज़ार  रहा करते हैं 'अकबर'
जब से दिल-ए-बेताब है दीवाना किसी का
 
- अकबर इलाहाबादी

शब्दार्थ:

*   शैख़-ओ-बहरमन  =   धर्मोपदेशक 
*   माबद  =  पूजा का स्थान
*   काबा ओ-बुतख़ाना  =  काबा और मंदिर
*   सियहख़ाना  =  अँधेरे भरा कमरा
*    एवज़  =  बदले में
*    इशरत =  धूमधाम
*   लब-ए-ग़ौर = ध्यान से
*   बेज़ार  = ना-खुश   

*****************************************   

No comments:

Post a Comment