(1)
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
गीता का ज्ञान सुने ना सुनें, इस धरती का यशगान सुनें,
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें भारत मां का जयगान सुनें,
परवरदिगार, मैं तेरे द्वार
पर ले पुकार ये आया हूं,
चाहे अज़ान ना सुनें कान,
पर जय-जय हिन्दुस्तान सुनें…
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो…
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो…
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो…
- डॉ कुमार विश्वास
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