(28)
(1)
तुम बिन मेरी कौन खबर ले
तुम बिन मेरी कौन खबर ले। गोवर्धन गिरिधारी रे॥
मोर मुकुट पीतांबर सोभे । कुंडलकी छबी न्यारी रे॥
भरी सभा में द्रौपदी ठारी। राखो लाज हमारी रे॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारी रे॥
(2)
तुम बिन मेरी कौन खबर ले। गोवर्धन गिरिधारी रे॥
लटपट पाग केसरिया जामा । गले बिच हार हजारी रे॥
मोर मुकुट पीतांबर सोहे। कुंडल की छबी न्यारी रे॥
वृंदावन में धेनु चरावै । बंसी बजावै गिरिधारी रे॥
वृंदावन में रास रची है । सहस्त्र गोपियो गिरिधारी रे॥
भरी सभा में द्रौपदी ठाड़ी। राखो लाज हमारी रे॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारी रे॥
- मीराबाई
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