(27)
झूलत राधा संग
झूलत राधा संग। गिरिधर झूलत राधा संग॥
अबिर गुलालकी धूम मचाई। भर पिचकारी रंग॥
लाल भई बिंद्रावन जमुना। केशर चूवत रंग॥
नाचत ताल आधार सुरभर। धिमी धिमी बाजे मृदंग॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल कू दंग॥
- मीराबाई
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