(10)
हाँ, कोई और होगा
हाँ, कोई और होगा तूने जो देखा होगा
हम नहीं आग से बच-बचके गुज़रने वाले
न इन्तज़ार , न आहट, न तमन्ना, न उम्मीद
हम नहीं आग से बच-बचके गुज़रने वाले
न इन्तज़ार , न आहट, न तमन्ना, न उम्मीद
ज़िन्दगी है कि यूँ बेहिस हुई जाती है
इतना कह कर बीत गई हर ठंडी भीगी रात
सुखके लम्हे , दुख के साथी, तेरे ख़ाली हात
हाँ , बात कुछ और थी, कुछ और ही बात हो गई
और आँख ही आँख में तमाम रात हो गई
कई उलझे हुए ख़यालात का मजमा है यह मेरा वुजूद
कभी वफ़ा से शिकायत कभी वफ़ा मौजूद
जिन्दगी आँख से टपका हुआ बेरंग कतरा
तेरे दामन की पनाह पाता तो आँसू होता
इतना कह कर बीत गई हर ठंडी भीगी रात
सुखके लम्हे , दुख के साथी, तेरे ख़ाली हात
हाँ , बात कुछ और थी, कुछ और ही बात हो गई
और आँख ही आँख में तमाम रात हो गई
कई उलझे हुए ख़यालात का मजमा है यह मेरा वुजूद
कभी वफ़ा से शिकायत कभी वफ़ा मौजूद
जिन्दगी आँख से टपका हुआ बेरंग कतरा
तेरे दामन की पनाह पाता तो आँसू होता
- मीना कुमारी
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