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सूरदास -- मैं नहिं माखन खायो

  (3)




मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो |

भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो
चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे घर आयो

मैं बालक बहिंयन को छोटो, छींको किहि बिधि पायो
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो

तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहे पतिआयो
जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो

यह लै अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो
'
सूरदास' तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो
- सूरदास 

भावार्थ :--
श्यामसुन्दर बोले- `मैया ! मैंने मक्खन नहीं खाया है  सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे भेज देती हो।चार पहर भटकने के बाद साँझ होने पर वापस आता हूँ।मैं छोटा बालक हूँ मेरी बाहें छोटी हैं, मैं छींके तक कैसे पहुँच सकता हूँ? ये सब सखा मेरे से बैर रखते हैं, इन्होंने मक्खन जबऱन मेरे मुख में लिपटा दिया। माँ तू मन की बड़ी भोली है, इनकी बातों में आ गई। तेरे दिल में जरूर कोई भेद है,जो मुझे पराया समझ कर मुझ पर संदेह कर रही हो। ये ले, अपनी लाठी और कम्बल ले ले, तूने मुझे बहुत नाच नचा लिया है। सूरदास जी कहते हैं कि प्रभु ने अपनी बातों से माता के मन को मोहित कर लिया. माता यशोदा ने मुसकराकर श्यामसुन्दर को गले लगा लिया

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49 comments:

  1. there is so much of corruption in the poetry that I can not decide whether what we read in our school days(1950 -1955)is the right one or is it this or any other version?

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    1. Thanks for noticing the lyrics.Now Iam giving tha most appropiate version of the bhajan.

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    2. Not corruption ...correction

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  2. I think it meaning can be improved

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  3. Replies
    1. 👍👍👍👍👍👍👍👍👍

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  4. मन में बसे यशोदा नंदन!

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  5. चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ॥

    कृपया पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिये।

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    1. दिन के चार प्रहर- 1.पूर्वान्ह, 2.मध्यान्ह, 3.अपरान्ह और 4.सायंकाल।
      चार पहर अर्थात दिन भर अर्थात पूर्वान्ह से सायंकाल तक बंसीबट (जंगल) मे इधर उधर भटकने के बाद सांझ (मुंह अंधेरा) होने पर घर वापस आता हूं

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    2. Umar mujhe dusra dhoha arth aur doha dono bhej dijiye

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  6. नटखट गोपाला 😇😇😇

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  7. Thanks so much for the answer

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  8. What is the meaning of छींके

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  9. शब्दार्थ भी दें

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  10. आरोप से लेकर निर्दोष साबित होने तक की पूरी दंड प्रक्रिया संहीता का उल्लेख इस भजन में किया गया है।

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  11. Waise yaha par kambal ka matlab kya hai? Krishna Ji ki kamar ya kuch aur?

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    1. Kyuki koi apni kamar kaise de sakta hai?

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    2. कमरिया का मतलब कंबल है
      जो ग्वाले हैं वह लाठी और कंबल लेकर जंगल को जाते हैं

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    3. कमरिया ( कमर पर बांधने वाली ) करधनी भी बोलते है , इससे धोती वस्त्र कसे रहते है ..

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  12. Bachit acha love it it help in my assignment

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  13. Very helpful 😀😀😀😀😀😀😃

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  14. Thank you google love you

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  15. Thanks a lot of

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  16. you have given very good information thanks learn more

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  17. This was very helpful for me

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  18. Very good moral and story

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  19. Abhiraj Kumar Gupta3 March 2024 at 07:57

    Very nice post bolo jai shree krishna

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