(4)
मैं कवि हूँ
सम्बन्धों को अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगी
होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी
हर विवश आँख के आँसू को
यूँ ही हँस हँस पीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीड़ा है
तब तक मुझको जीना होगा
होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी
हर विवश आँख के आँसू को
यूँ ही हँस हँस पीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीड़ा है
तब तक मुझको जीना होगा
मनमोहन के आकर्षण मे भूली भटकी राधाऒं की
हर अभिशापित वैदेही को पथ मे मिलती बाधाऒं की
दे प्राण देह का मोह छुडाने वाली हाड़ा रानी की
मीराऒं की आँखों से झरते गंगाजल से पानी की
मुझको ही कथा सँजोनी है,
मुझको ही व्यथा पिरोनी है
स्मृतियाँ घाव भले ही दें
मुझको उनको सीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीड़ा है
तब तक मुझको जीना होगा
जो सूरज को पिघलाती है व्याकुल उन साँसों को देखूँ
या सतरंगी परिधानों पर मिटती इन प्यासों को देखूँ
देखूँ आँसू की कीमत पर मुस्कानों के सौदे होते
या फूलों के हित औरों के पथ मे देखूँ काँटे बोते
इन द्रौपदियों के चीरों से
हर क्रौंच-वधिक के तीरों से
सारा जग बच जाएगा पर
छलनी मेरा सीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीड़ा है
तब तक मुझको जीना होगा
कलरव ने सूनापन सौंपा मुझको अभाव से भाव मिले
पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले
सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना
शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना
पीड़ा की इस मधुशाला में
आँसू की खारी हाला में
तन-मन जो आज डुबो देगा
वह ही युग का मीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीड़ा है
तब तक मुझको जीना होगा
- डॉ कुमार विश्वास
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वाह सर। लाज़वाब।
ReplyDeleteइस कविता को साइट पर डालने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteBehad khoobsurat rachna
ReplyDeleteKya bhasha ka pryog kiya h..
ReplyDeleteBehad umda😍😍😍💝
Hada rani ko jo aapane rachana me use kiya hai..Isase achhi rachana shayad koi nahi karega..
ReplyDeleteBahut hi sundar rachna hai sir..
ReplyDeleteBhut he lazwaab..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
ReplyDeleteIski videos puri mil jati kisi tarah se to bahut achha hota
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