(24)
साधुकी संगत पाईवो
साधुकी संगत पाईवो। ज्याकी पुरन कमाई वो॥
पिया नामदेव और कबीरा। चौथी मिराबाई वो॥
केवल कुवा नामक दासा। सेना जातका नाई वो॥
धनाभगत रोहिदास चह्यारा। सजना जात कसाईवो॥
त्रिलोचन घर रहत ब्रीतिया। कर्मा खिचडी खाईवो॥
भिल्लणीके बेर सुदामाके चावल। रुची रुची भोग लगाईरे॥
रंका बंका सूरदास भाईं। बिदुरकी भाजी खाईरे॥
ध्रुव प्रल्हाद और बिभीषण। उनकी क्या भलाईवो॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। ज्योतीमें ज्योती लगाईवो॥
पिया नामदेव और कबीरा। चौथी मिराबाई वो॥
केवल कुवा नामक दासा। सेना जातका नाई वो॥
धनाभगत रोहिदास चह्यारा। सजना जात कसाईवो॥
त्रिलोचन घर रहत ब्रीतिया। कर्मा खिचडी खाईवो॥
भिल्लणीके बेर सुदामाके चावल। रुची रुची भोग लगाईरे॥
रंका बंका सूरदास भाईं। बिदुरकी भाजी खाईरे॥
ध्रुव प्रल्हाद और बिभीषण। उनकी क्या भलाईवो॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। ज्योतीमें ज्योती लगाईवो॥
- मीराबाई
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