(13)
मैनें गोविंद लीन्हो मोल
माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल॥ध्रु०॥
कोई कहे हलका कोई कहे भारी। लियो है तराजू तोल॥ मा०॥१॥
कोई कहे ससता कोई कहे महेंगा। कोई कहे अनमोल॥ मा०॥२॥
बृंदाबन की कुंज गलिन में। लियो बजंता ढोल॥ मा०॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। पुरब जनम के बोल॥ मा०॥४॥
कोई कहे हलका कोई कहे भारी। लियो है तराजू तोल॥ मा०॥१॥
कोई कहे ससता कोई कहे महेंगा। कोई कहे अनमोल॥ मा०॥२॥
बृंदाबन की कुंज गलिन में। लियो बजंता ढोल॥ मा०॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। पुरब जनम के बोल॥ मा०॥४॥
- मीराबाई
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