Old bollywood movies; old bollwood songs

Watch old Bollywood movies, Listen old songs.... click here

निदा फ़ाज़ली - इक़रारनामा

(7)
इक़रारनामा


ये सच है
जब तुम्हारे जिस्म के कपड़े
भरी महफ़िल में छीने जा रहे थे
उस तमाशे का तमाशाई था मैं भी
और मैं चुप था


ये सच है
जब तुम्हारी बेगुनाही को
हमेशा की तरह सूली पे टांगा जा रहा था
उस अंधेरे में
तुम्हारी बेजुबानी ने पुकारा था मुझे भी
और मैं चुप था


ये सच है
जब सुलगती रेत पर तुम
सर बरहना
अपने बेटे भाइयों को तनहा बैठी रो रही थीं
मैं किसी महफ़ूज गोशे में
तुम्हारी बेबसी का मर्सिया था
और मैं चुप था


ये सच है
आज भी जब
शेर चीतों से भरी जंगल से टकराती
तुम्हारी चीख़ती साँसें
मुझे आवाज़ देती हैं


मेरी इज्ज़त, मेरी शोहरत
मेरी आराम की आदत
मेरे घर बार की ज़ीनत
मेरी चाहत, मेरी वहशत
मेरे बढ़ते हुए क़दमों को बढ़कर रोक लेती है


मैं मुजरिम था
मैं मुजरिम हूँ
मेरी ख़ामोशी मेरे जुर्म की जिंदा शहादत है
मैं उनके साथ था


जो जुल्म को ईजाद करते हैं
मैं उनके साथ हूँ
जो हँसती गाती बस्तियाँ
बर्बाद करते हैं


- निदा फ़ाज़ली

 

*********************************************************

No comments:

Post a Comment