(14)
एकांत संगीत
तट पर है तरूवर एकाकी,
नौका है, सागर में,
अंतरिक्ष में खग एकाकी,
तारा है अंबर में,
भू पर वन, वारिधि पर बेड़े,
नभ में उडु-खग मेला,
नर नारी से भरे जगत में
कवि का हृदय अकेला।
- हरिवंश राय बच्चन
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