(5)
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहों में हर बार रुक कर
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया
अब ना माँगेंगे ज़िन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
ये गुनाह हम ने एक बार किया
- गुलज़ार
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